पर्यावरण का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। पर्यावरण के बिना मानव जीवन की कल्पना करना भी असंभव है। पर्यावरण दो शब्दों के मेल से बनता है परि+आवरण। परि का अर्थ चारों ओर तथा आवरण का अर्थ है ढकना। इस प्रकार पर्यावरण का अर्थ है जिस शक्ति ने हमारे जीवन को चारों ओर से ढका है, वह पर्यावरण कहलाता है। इसके अन्तर्गत हमारे आसपास के सम्पूर्ण वातावरण को लिया जा सकता है जिसमें सम्पूर्ण प्राकृतिक परिवेश, नदियां, पर्वत, झरने, जंगल, समुद्र, पेड़-पौधे, जीव जन्तु आदि शामिल हैं। इनकी सुरक्षा से ही मानव जीवन सम्भव है। अतः हमें इनकी रक्षा में सदा तत्पर रहना चाहिए। पर्यावरण के साथ-साथ हमें मित्रवत् व्यवहार करना चाहिए ऐसा सन्देश हमें वैदिक समय से ही मिलता है। शायद इसी से प्रेरित होकर महाकवि कालिदास ने अपनी प्रत्येक रचना में पर्यावरण प्रेम को दर्शाया है । उनका प्रत्येक पात्र पर्यावरण से किसी न किसी प्रकार से जुड़ा ही है । लोकप्रिय रचना अभिज्ञानशाकुन्तलम् में तो पर्यावरण प्रेम स्थान स्थान पर देखने को मिलता है। वर्तमान समय की बात करें तो इस आधुनिक युग में पर्यावरण अत्यन्त दूषित हो चुका है। बड़े-बड़े भवनों का निर्माण करने में,फोरलेन आदि सड़क मार्गों का निर्माण करने में पेड़ों को अन्धाधुन्ध तरीके से काटा जा रहा है। जिसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। हम अल्पायु में ही अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित होते जा रहें हैं । ऐसे समय में हमारा यह कर्तव्य है कि हमें पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान अवश्य देना चाहिए ।