किसी भी कार्य को करने के लिए हमें शक्ति -ऊर्जा की आवश्यकता होती है, यह शक्ति अथवा ऊर्जा हमें अन्न से प्राप्त होता है ,अन्न वर्षा से , और वर्षा यज्ञ से प्राप्त होता है यह परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इसी कारण हमारे ऋषियों ने यज्ञ विज्ञान की विशिष्टता को अपने जीवन , समाज ,राष्ट्र के उन्नति के लिए आजीवन पर्यन्त यज्ञ का आचरण करते रहें हैं इससे हमारे इहलोक और परलोक दोनों ही मार्ग प्रशस्त होगा , इस कारण यह परम्परा हमें भी अपनाकर स्वयं तथा अपने समाज, राष्ट्र के उन्नति में सहायक बनना चाहिये।