भारतीय अभिलेखों में वर्णित आर्थिक विवरण पर एक अवलोकन
अतुल पंवार
अभिलेख इतिहास के पुनर्निर्माण विशेषकर प्रारंभिक भारत के राजनीतिक इतिहास के पुनर्निर्माण के लिए सर्वाधिक मूल्यवान स्रोत रहे हैं और साबित हुए हैं। ऐतिहासिक साक्ष्य के तौर पर यह साहित्यिक स्रोतों से अधिक विश्वसनीय माने जाते हैं। क्योंकि अधिकतर साहित्यिक स्रोतों का काल है अनिश्चित है और हजारों वर्षों के प्रतियों के रूप में उन्हें सुरक्षित रखने की प्रक्रिया के दौरान उनमें बदलाव अवश्य ही हुए हैं। किसी ठोस सतह उदाहरण के लिए मोहरें, ताम्र पत्र, मंदिर की दीवारें, धातुएं, लकड़ी के पट्टे, कपड़ों के टुकड़े, स्मारकों के पत्थरों, खंबो चट्टानों की सतहों, ईटो, मूर्तियों आदि पर कोई भी लेखन अभिलेख कहलाता है। यह एक पाठ्य लेख होता है जो कि साहित्यिक शैली के साक्ष्य के काफी करीब है और साथ ही साथ एक पुरातात्विक कलाति भी है। जो उस समय की भौतिक सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा है। अभिलेख पूरे ऐतिहासिक समय में विश्वव्यापी रहे हैं और यह भारतीय उपमहाद्वीप के संदर्भ में भी सत्य है। प्रारंभिक अभिलेख ऐतिहासिक जानकारी के अंश होते हैं और यह कि वह तरीका है जिसमें उनका उपयोग किया गया है। परंतु अभिलेख विभिन्न तरीकों से व्यक्त की गई ऐतिहासिक चेतना के प्रति कुछ संवेदनशीलता भी धारण करते हैैं।