भारतीय वास्तुशास्त्र का शास्त्रीय स्वरूप, उद्भव एवं विकास
Dr. Shubh Kumar
प्रत्येक ज्ञान, विज्ञान, शास्त्र, विद्या आदि की उत्पत्ति वेदों से हुई है। उसी प्रकार वास्तुशास्त्र की भी उत्पत्ति वेदों से हुई है। ऋग्वेद संहिता में गृह शब्द निवास या घर के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। इसी प्रकार गृह के धामन्, सदन, आयतन, वस्त्य, शाला आदि पर्यायवाची शब्द मिलते हैं। वेद में वास्तु के वैदिक देवता का नाम ‘वास्तोष्पति’ मिलता है। मत्स्यपुराण में स्थापत्य अर्थात् वास्तुशास्त्र का क्रमानुसार वर्णन मिलता है यथा- वास्तु पुरुष की उत्पत्ति, एकाशीति पद, भूमि परीक्षा आदि। अग्नि पुराण में भी वास्तु के 16 अध्याय हैं। विश्वकर्म प्रकाश में आचार्य विश्वकर्मा ने भूमि चयन से गृह प्रवेश तक का वर्णन किया है तथा गृह को धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष का प्रदाता कहा है। वाल्मीकि रामायण, महाभारत एवं नाट्य शास्त्र में भी वास्तु का प्रचुर उल्लेख मिलता है।