महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ मोकà¥à¤· का सà¥à¤µà¤°à¥‚प
शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿, डाॅ कà¥à¤¸à¥à¤® डोबरियाल
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° में मानव-जीवन के चार पà¥à¤°à¥‚षारà¥à¤¥ विवेचित हैं- धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम à¤à¤µà¤‚ मोकà¥à¤·à¥¤ धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, तथा काम à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‚षारà¥à¤¥ हैं और मोकà¥à¤· आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‚षारà¥à¤¥ है। धरà¥à¤®-अरà¥à¤¥-काम वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सांसारिकता की ओर पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤ करते हैं और मोकà¥à¤· वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को सांसारिकता से निवृतà¥à¤¤ करता है। संसार आवागमन, जनà¥à¤®-मरण और नशà¥à¤µà¤°à¤¤à¤¾ का केनà¥à¤¦à¥à¤° है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अà¤à¤¾à¤µ के कारण मानव इस संसार के चकà¥à¤° में फंसा रहता है और जनà¥à¤®-मरण के चकà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¥‚ह से मà¥à¤•à¥à¤¤ नहीं हो पाता जिस कारण उसे नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के कषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का अनà¥à¤à¤µ करना पड़ता है, इन कषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ से आतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤• मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पाना ही मोकà¥à¤· है। मोकà¥à¤· की अवधारणा हमारे वेद, दरà¥à¤¶à¤¨, à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥, साहितà¥à¤¯, आदि सà¤à¥€ विधाओं में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¥€ मोकà¥à¤· ततà¥à¤¤à¥à¤µ का सविसà¥à¤¤à¤¾à¤° वरà¥à¤£à¤¨ है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ जीव (पà¥à¤°à¥‚ष) दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अहं तà¥à¤¯à¤¾à¤— और नारायण में अवसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो जाने पर या सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को परबà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सदृशà¥à¤¯ समà¤à¤¨à¥‡ पर ही समà¥à¤à¤µ है। शानà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¤°à¥à¤µ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आतà¥à¤®à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ साधन है जिसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का सांसारिक वसà¥à¤¤à¥à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ मोह समापà¥à¤¤ हो जाता है और वह सांसारिक बंधनों से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर, जगतॠको मिथà¥à¤¯à¤¾ समà¤à¤•à¤°, परमाातà¥à¤®à¤¾ में लीन होने लगता है, इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ’बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सतà¥à¤¯à¤‚ जगनà¥à¤®à¤¿à¤¥à¥à¤¯à¤¾â€™ की अनà¥à¤à¥‚ति ही मोकà¥à¤· है।
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शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿, डाॅ कà¥à¤¸à¥à¤® डोबरियाल. महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ मोकà¥à¤· का सà¥à¤µà¤°à¥‚प. Int J Sanskrit Res 2017;3(3):409-411.