Contact: +91-9711224068
International Journal of Sanskrit Research
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

Impact Factor (RJIF): 8.4

International Journal of Sanskrit Research

2017, Vol. 3, Issue 3, Part B

मानव के त्रिविध शरीर और चार अवस्थाएँ

डाॅ॰ ब्रजेन्द्र कुमार

मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना है। मानव शरीर दो तत्वों का समवाय है जिन्हें हम जड़ और चेतन के रूप में जानते हैं। चेतन तत्व को जीव या आत्मा कहा जाता है। जबकि जड़ तत्व को हम शरीर के रूप में जानते हैं। जड़ तत्वों से बने हुए मानव शरीर के तीन भेद होते हैं। 1. स्थूल, 2. सूक्ष्म और 3. कारण शरीर। मानव की चार अवस्थाओं का वर्णन शास्त्रों में किया गया है। जो निम्न है- 1. जाग्रतावस्था, 2. स्वप्नावस्था, 3. सुषुप्त्यावस्था, 4. समाधि या तुरीयावस्था। शोध- पत्र में मानव के त्रिविधि शरीर और चार अवस्थाओं का तात्विक विवेचन किया गया है।
Pages : 95-97 | 1678 Views | 496 Downloads
How to cite this article:
डाॅ॰ ब्रजेन्द्र कुमार. मानव के त्रिविध शरीर और चार अवस्थाएँ. Int J Sanskrit Res 2017;3(3):95-97.

Call for book chapter
International Journal of Sanskrit Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals
Please use another browser.