भारतीय संस्कृति आत्मा की नित्यता को स्वीकार करती हैं। आत्मा नित्य है और वह एक शरीर से दूसरे शरीर को ग्रहण करती है। मृत्यु केवल शरीर की होती है। भगवान् श्रीकृष्ण स्वयं श्रीमद्भगवद् गीता में यही कहते हैं। भारतीय धर्मषास्त्रकार भी पुनर्जन्म का समर्थन करते हैं। स्वर्ग, नरक और पुनर्जन्म के सिद्धान्त भारतीय संस्कृति का अनुपम वैषिष्ट्य है। पुनर्जन्म में आस्था ही मनुष्य को श्रेष्ठ कर्म करने हेतु प्रेरित करती है और निन्दित कर्म से विमुख करती है। मनु ने मनुस्मृति में अनेकानेक स्थलों पर पुनर्जन्म एवं कर्मविषेष से प्राप्त होने वाली नाना योनियों का उल्लेख किया है। इस शोधालेख में मनु के द्वारा प्रतिपादित पुनर्जन्म की अवधारणा की विवेचना की गई है।