महाकवि भवभूति संस्कृत साहित्य के महानतम नाटककारों और कवियों में से एक हैं, जिन्हें कालिदास के समकक्ष स्थान प्राप्त है । इस शोध का उद्देश्य भवभूति के व्यक्तित्व, वंश, जन्मस्थान, साहित्यिक योगदान, और उनकी रचनाओं के दार्शनिक एवं काव्यात्मक पक्ष का विश्लेषण करना है । अध्ययन की पद्धति मुख्यतः साहित्यिक, ऐतिहासिक और तुलनात्मक विश्लेषण पर आधारित है । उपलब्ध प्राचीन ग्रंथों, टीकाओं, और आधुनिक विद्वानों के मतों के माध्यम से भवभूति के जीवनवृत्त और कृतित्व का पुनर्मूल्यांकन किया गया है । परिणामस्वरूप यह स्पष्ट हुआ कि भवभूति विदर्भ क्षेत्र के पद्मपुर के निवासी थे और काश्यप गोत्र के वैदिक ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते थे । उन्होंने तीन प्रमुख नाटक-महावीरचरितम्, मालतीमाधवम्, और उत्तररामचरितम् की रचना की, जिनमें दार्शनिक गंभीरता, करुण रस की उत्कृष्टता, तथा मानवीय संवेदना का अद्भुत समन्वय देखा जाता है । उनके नाटकों से यह भी सिद्ध होता है कि वे व्याकरण, मीमांसा और न्याय के प्रकांड ज्ञाता थे । भवभूति की भाषा सशक्त, गंभीर और भावगर्भित है, जो उन्हें अन्य संस्कृत नाटककारों से अलग पहचान देती है । निष्कर्षतः, भवभूति का साहित्य केवल काव्य नहीं बल्कि दर्शन, नीति और भावनाओं का संतुलित समन्वय है । उनके कृतित्व का अध्ययन आज भी नाट्यकला, दर्शन और काव्यशास्त्र के क्षेत्र में प्रेरणास्रोत बना हुआ है ।
सुमन कुमारी, संतोष कुमार सौरठा. महाकवि भवभूति का व्यक्तित्व एवं कृतित्व. Int J Sanskrit Res 2025;11(5):174-177. DOI: 10.22271/23947519.2025.v11.i5c.2815