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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2025, Vol. 11, Issue 5, Part C

महाकवि भवभूति का व्यक्तित्व एवं कृतित्व

सुमन कुमारी, संतोष कुमार सौरठा

महाकवि भवभूति संस्कृत साहित्य के महानतम नाटककारों और कवियों में से एक हैं, जिन्हें कालिदास के समकक्ष स्थान प्राप्त है । इस शोध का उद्देश्य भवभूति के व्यक्तित्व, वंश, जन्मस्थान, साहित्यिक योगदान, और उनकी रचनाओं के दार्शनिक एवं काव्यात्मक पक्ष का विश्लेषण करना है । अध्ययन की पद्धति मुख्यतः साहित्यिक, ऐतिहासिक और तुलनात्मक विश्लेषण पर आधारित है । उपलब्ध प्राचीन ग्रंथों, टीकाओं, और आधुनिक विद्वानों के मतों के माध्यम से भवभूति के जीवनवृत्त और कृतित्व का पुनर्मूल्यांकन किया गया है । परिणामस्वरूप यह स्पष्ट हुआ कि भवभूति विदर्भ क्षेत्र के पद्मपुर के निवासी थे और काश्यप गोत्र के वैदिक ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते थे । उन्होंने तीन प्रमुख नाटक-महावीरचरितम्, मालतीमाधवम्, और उत्तररामचरितम् की रचना की, जिनमें दार्शनिक गंभीरता, करुण रस की उत्कृष्टता, तथा मानवीय संवेदना का अद्भुत समन्वय देखा जाता है । उनके नाटकों से यह भी सिद्ध होता है कि वे व्याकरण, मीमांसा और न्याय के प्रकांड ज्ञाता थे । भवभूति की भाषा सशक्त, गंभीर और भावगर्भित है, जो उन्हें अन्य संस्कृत नाटककारों से अलग पहचान देती है । निष्कर्षतः, भवभूति का साहित्य केवल काव्य नहीं बल्कि दर्शन, नीति और भावनाओं का संतुलित समन्वय है । उनके कृतित्व का अध्ययन आज भी नाट्यकला, दर्शन और काव्यशास्त्र के क्षेत्र में प्रेरणास्रोत बना हुआ है ।
Pages : 174-177 | 193 Views | 80 Downloads


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How to cite this article:
सुमन कुमारी, संतोष कुमार सौरठा. महाकवि भवभूति का व्यक्तित्व एवं कृतित्व. Int J Sanskrit Res 2025;11(5):174-177. DOI: 10.22271/23947519.2025.v11.i5c.2815

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