भारत
वर्ष में दर्शन की परम्परा एक लम्बे कालक्रम से चली आ रही है, यहाँ हमेशा से धर्म और
दर्शन का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। भारतीय जीवन और धर्म पर दर्शन-परम्परा का गहरा प्रभाव
देखने को मिलता है। इसी दर्शन-परम्परा में बौद्धधर्म का प्रादुर्भाव हुआ, जो विश्व
के प्रमुख धर्मों में से एक है, जिसका प्रारम्भिक शुरूआत महात्मा बुद्ध ने छठी शताब्दी
ईसा पूर्व में किया था। प्रारम्भ में इस दर्शन को पालि बौद्ध दर्शन एवं थेरवाद के नाम
से भी जाना जाता था। यह धर्म करूणा, अहिंसा, ध्यान और आत्मज्ञान तथा सांसारिक दुःख
के कारणों और उनसे मुक्ति पाने के मार्ग पर आधारित है। चार आर्यसत्य, अष्टाङ्गिकमार्ग,
त्रित्न (बुद्ध, धर्म और संघ) प्रतीत्यसमुत्पाद एवं पञ्चशील इस दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त
हैं। बौद्ध धर्म ने केवल भारतीय उपमहाद्वीप को ही नहीं एशिया के कई देशों को गहराई
से प्रभावित किया है। भगवान बुद्ध के उपदेशों के आधार समय के साथ बौद्ध विचारधारा के
विभिन्न संप्रदायों का विकास हुआ है, इन सम्प्रदायों का विशेष रूप इस शोध के माध्यम
से दर्शाया गया है।