सौन्दरनन्द महाकाव्य और श्रीमद्भगवद्गीता में कर्मस्वरूप का विवेचन
Kajal Oraon
सौन्दरनन्द महाकाव्य संस्कृत में विरचित अश्वघोष का अद्भुत महाकाव्य है। इसमें अठारह सर्ग हैं जिनमें बुद्ध द्वारा अपने सौतेलेभाई नन्द को उसकी पत्नी सुन्दरी के प्रेमपाश से मुक्त करके धर्म में दीक्षित किए जाने का वर्णन है एवं कर्म के बारे में विस्तृत रूप से विवेचन किया गया है। ठीक उसी प्रकार श्रीमद्भगवद्गीता में भी अठारह सर्ग हैं जिसमें भगवान् श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को उपदेश किए जाने का वर्णन है। श्रीमद्भगवद्गीता में जिस मुख्य विषय का वार वार प्रतिपादन किया गया है, वह कर्मयोग ही है। निष्क्रिय किंकर्तव्यविमूढ़ अर्जुन के अन्दर कर्म का उत्साह भरने के लिए ही श्रीमद्भगवद्गीता की रचना की गयी थी। गीता में निरन्तर कर्म करने की शिक्षा विद्यमान है।