ऋग्वेद संहिता के ऐतरेय ब्राह्मण के रचयिता महिदास ऐतरेय को माना गया है। स्कन्द पुराण के अनुसार महिदास ऐतरेय को हारित ऋषि के कूल में उत्पन्न हुए माण्डूकि ऋषि और उनकी पत्नी इतरा से उत्पन्न हुआ माना जाता है। अतः स्पष्ट रूप से यह भी कहा गया है कि एक साध्वी के अन्दर जो सद्गुण होने चाहिए वह सब के सब इतरा के अन्दर मौजूद थे। सायणाचार्य ने भी ऐतरेय ब्राह्मण भाष्य में महिदास ऐतरेय की माता का नाम इतरा ही बताया है। छान्दोग्योपनिषद् के अनुसार महिदास ऐतरेय ने 116 वर्ष की आयु का भोग किया था इसका उल्लेख इस प्रकार मिलता है।
महिदास ऐतरेय३ण् स ह षोडशं वर्षशतम् अजीवत्।
ऐतरेय ब्राह्मण में कुल 40 अध्याय बताये गये हैं। प्रत्येक 5.5 अध्यायों की 1 पञ्चिका है। इस प्रकार सम्पूर्ण ग्रन्थ में कुल 8 पञ्चिकाएं है। प्रत्येक अध्याय को पुनः खण्डों में विभाजित किया गया है। ऋग्वेदीय ऐतरेय ब्राह्मण में कुल 40 अध्यायए 8 पञ्चिकाएं और 285 काण्डिकाएं उपलब्ध होती है। ऐतरेय ब्राह्मण में जीवन जगत् एवं दर्शन से सम्बद्ध अनेक सूक्तियों का संकलन प्राप्त होता हैं जिन्हें कुछ शीर्षकों के अन्तर्गत निम्नानुसार देखा जा सकता है