भारतीय परंपरा में हिन्दू गणित का अपना एक समृद्ध और विस्तृत क्षेत्र है l ३००० ईसा पूर्व या कहें उससे भी प्राचीन काल से अपने विशाल अस्तित्व को संजोये है जो गणितीय अवधारणाओं और तकनीकी की एक विस्तृत श्रृंखला का परिचय कराता है l वैदिक सभ्यता यज्ञ प्रधान थी l धार्मिक क्रिया कलापों में यज्ञ सर्व प्रधान थे l ये विभन्न प्रकार की यज्ञ वेदियाँ रेखागणित की भूमिका दृढ़ करती है l यज्ञ फलों की निर्विघ्न समाप्ति के लिए वेदियों का सटीक निर्माण आवश्यक था और यही समस्या अपने समाधान स्वरूप ज्यामिति के कई सिद्धांतों को जन्म देती है l शुल्बसुत्रों, वेदों के महत्त्वपूर्ण भाग है l इन शास्त्रों से हमें तत्कालीन गणितीय अवधारणाओं के दिग्दर्शन होते है l इस पेपर में हम वेदों और शुल्बासूत्रों में पाई जाने वाली गणितीय अवधारणाओं और हिंदू गणित में उनके महत्व को जान पाएंगे । हम यह भी जांच करते हैं कि इन ग्रंथों ने वास्तविक दुनिया के दैनिक मुद्दों के व्यावहारिक समाधान कैसे प्रदान किए जैसे कि खेतों के क्षेत्र की गणना करना और धार्मिक समारोहों के लिए वेदियों का निर्माण करना, साथ ही उन्नत गणितीय अवधारणाओं के लिए आधार तैयार प्रदान करना।