कालिदास कृत नाटकों एवं खण्डकाव्यों में पुरुषार्थ चतुष्टय
शैलेश कुमार कुशवाहा
संस्कृत-साहित्य के श्रेष्ठ कवि तथा नाट्यकार कालिदास के काव्यगत उत्कर्ष की समीक्षा को छोड़कर उनके विषय में सब कुछ विवादास्पद है। उनका जीवन-वृत्त कतिपय दन्तकथाओं के रूप में है, स्थान और काल की खींच-तान आज भी चल रही है, उनके मूल स्थान और कर्मक्षेत्र को लेकर आज भी इतिहासकारों में विवाद है, काल को लेकर शताब्दियों का अन्तराल माना जा रहा है तथा 'कालिदास' के नाम से संस्कृत में कई रचनाओं का निरूपण किया गया है।