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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2024, Vol. 10, Issue 4, Part D

आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी-कृत मानवी में पर्यावरणचेतना

कुलदीप सिंह

मानव और प्रकृति का तादात्म्य संबंध है। संस्कृत साहित्य ने आदिकाल से इस संबंध को और अधिक प्रगाढ़ करने का कार्य किया किया है। वर्तमान युग में बढ़ते भौतिकवाद के चलते इस संबंध की डोरी कुछ ढीली पड़ने से आधुनिक संस्कृत काव्यकारों पर यह उत्तरदायित्व अनायास ही आ गया है, जिसे कर्तव्यबोध से प्रेरित इन युगद्रष्टा मनीषियों द्वारा वहन किया जा रहा है। इन साहित्यसाधकों की अग्रपंक्ति में विराजित अभिनवाचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी जी की सद्यः प्रकाशित रचना ‘मानवी’ में पर्यावरणचेतना स्तुत्य एवं अनुकरणीय है।
Pages : 238-241 | 221 Views | 86 Downloads


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How to cite this article:
कुलदीप सिंह. आचार्य राधावल्लभ त्रिपाठी-कृत मानवी में पर्यावरणचेतना. Int J Sanskrit Res 2024;10(4):238-241. DOI: 10.22271/23947519.2024.v10.i4d.2453

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