भट्ट मथुरानाथ शास्त्री का कथा साहित्य (मञ्जुनाथगद्यगौरवं के सन्दर्भ में)
डाॅ. कल्पना श्रृंगी एवं डाॅ. महावीर प्रसाद साहू
सृष्टि के आरम्भ से लेकर वर्तमान काल तक जीवन एवं साहित्य के क्षेत्र में परिवर्तन और परिवर्धन अवश्य होते रहे हैं। संस्कृत गद्य साहित्य के क्षेत्र में यह परिवर्तन वैदिक साहित्य से प्रारम्भ होता हुआ बाह्मण, सूत्र व उपनिषद् ग्रन्थों के माध्यम से मध्यकाल के सुबन्धु बाणभट्ट व दण्डी के गद्य साहित्य मंे दृष्टिगोचर होता है।
परिवर्तन की फिर वहीं अजस्रधारा अर्वाचीन संस्कृत साहित्य मंे भट्ट मथुरानाथ शास्त्री, प. क्षमाराव, विधुशेखर भट्टाचार्य, हरिदाश सिद्धान्त बागीश, प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी, प्रो. अभिराजराजेन्द्र मिश्र प्रभृति गद्यकारों का अवलम्बन पाकर अनेक धाराओं मे विभक्त हुई सी संस्कृत गद्य धरा को अभिसिञ्चित करती हुइ उसे पल्लवित और पुष्पित कर रही हैं। फिर चाहे वह औपन्यासिक गद्य साहित्य हो या कथा साहित्य अथवा निबन्ध साहित्य इन सभी गद्य-विधाओं ने आधुनिक गद्य साहित्य के कथ्य व शिल्प मंे परिवर्तन व परिवर्धन उपस्थित कर संस्कृत गद्य को युगानुरूप संचेतना प्रदान की हैं।
डाॅ. कल्पना श्रृंगी एवं डाॅ. महावीर प्रसाद साहू. भट्ट मथुरानाथ शास्त्री का कथा साहित्य (मञ्जुनाथगद्यगौरवं के सन्दर्भ में). Int J Sanskrit Res 2024;10(3):69-71. DOI: 10.22271/23947519.2024.v10.i3b.2369