बोधिचर्यावतार में वर्णित शील पारमिता का बोधिसत्त्व की साधना में स्थान तथा वर्तमान समय में शील की प्रासंगिकता
हितेश शर्मा, डाॅ0 लता देवी
इस संसार में प्रत्येक स्थान पर मानव के द्वारा की हुई हिंसा का ही द्रर्शन होता हैं मानव कुछ भी करे वह केवल स्वार्थ पराभूत करने के लिये ही दिखाई देता है। मानव का प्रत्येक कार्य स्वयं से आगे नही जा पाता। अपने स्वार्थ साधन में कई बार प्राणी हिंसा इत्यादि को भी अपना लेता है जिससे उसका चित्त पाप का भागीदार होता है। इसी पाप से बचने के लिये बोधिचर्यावतार में शील पारमिता का महत्त्व बताया गया है। इसलिये सर्वप्रथम् शील पारमिता का अर्थ तथा उद्देश्य, बोधिसत्त्व का शील पारमिता की साधना के लिये अग्रसर होना, शील पारमिता द्वारा चित्त की रक्षा, वर्तमान युग में शील का ह्रास, आधुनिक समय में शील पारमिता की उपयोगिता तथा अंत में निष्कर्ष दिया जाएगा।
हितेश शर्मा, डाॅ0 लता देवी. बोधिचर्यावतार में वर्णित शील पारमिता का बोधिसत्त्व की साधना में स्थान तथा वर्तमान समय में शील की प्रासंगिकता. Int J Sanskrit Res 2023;9(6):156-158.