तुलसी के ‘रामचरितमानस’ में सामाजिक संबंधों का बिम्ब
जितेन्द्र शुक्ला
गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में अपने समय की परिस्थितियों का यथातथ्य वर्णन किया है। उस समय समाज की जो व्यवस्था थी उसका निरूपण तुलसी ने अपने काव्य में किया है। ‘रामचरितमानस’ ग्रन्थ में तुलसीदास ने सामाजिक ताने-बाने को पूर्ण रूप में व्यक्त किया है।