कालिदास द्वारा रचित ‘मेघदूत’ की नायिका यक्षिणी अपूर्व सुन्दरी एवं पवित्रता नारी है, उसके अद्भुत सौन्दर्य का वर्णन यक्ष मेघ से कहता है कि यक्षिणी न केवल शारीरिक सौन्दर्य के गुणों से परिपूर्ण है बल्कि आन्तरिक सौन्दर्य के गुण भी फूट-फूट कर भरे हुए हें। यक्षिणी के सौन्दर्य के आगे कालिदास की सभी नायिकाओं का सौन्दर्य फीका पड़ जाता है। नायिका मेें लज्जा, पवित्रता, स्नेहशीलता, संरचलता, दयालुता आदि गुण होने चाहिए और यक्षिणी में ये सारे गुण सहज ही प्राप्त हो जाते हैं। यक्षिणी का शरीर पतला होठ लाल, दान्तों की पक्तियों नुकीली एवं तेज हिरनी के सदृश सुन्दर हैं।