पश्चिम बंगाल की आधुनिक संस्कृत साहित्य में नाट्य (दृश्यकाव्य) विकास यात्रा
Pabitro Barman
पश्चिम बंगाल की साहित्य सृजन व संस्कृत तथा आधुनिक संस्कृत साहित्य की विकास यात्रा पर सर्वदा उर्वर रही है। पश्चिम बंगाल में संस्कृत साहित्य की अनेक विधाऔं में परिवर्तन व परिवर्धन होते रहे हैं उसी प्रकार नाट्य लेखन में अनेक परिवर्तन हुए। लोकवृत्त व लोकरुचि के अनुसार रङ्गमञ्चीय विधा नाटक में भी समय-समय पर रङ्गमञ्च व तकनीक की दृष्टि से युगानुरूप अनेक परिवर्धन दिखायी दे रहे हैं। पश्चिम बंगाल में बहु वर्षों से नाट्य तथा दृश्यकाव्य लिखी गई है। आधुनिक काल का संस्कृत नाट्य साहित्य, जिसमें रूपक के भेद नाटक, प्रहसन आदि काव्य-रूप समाहित हैं, का प्रभूत मात्रा में निर्माण हुआ। इसमें एक ओर रामायण, महाभारत आदि उपजीव्य महनीय रचनाओं से सम्बद्ध कथानकों पर आधारित रूपक लिखे गये तो दूसरी ओर अनेकों लेखकों ने स्वतंत्रता संग्राम को समर्थन और बल देने के लिए भारत के विभिन्न महापुरुषों, वीरों के चरित को आधार बनाया। अधिकतर ऐसी भी रचनायें प्रकाश में आयीं जिनमें पूर्व रचनाओं शाकुन्तल आदि का पिष्टपेषण सा हुआ। फिर भी अनेक रचना ऐसी प्रकाशित हुईं, जिनमें इस क्षेत्र में एक नया ही प्रयोग लक्षित हुआ।