“ब्रह्म सत्यं जगत् मिथ्या” का भौतिकी विज्ञानात्मक विश्लेषण
चन्द्रशेखर श्रीवास, शीला खूॅटिया, नन्द कुमार कश्यप
प्रस्तुत शोध लेख मे भौतिकी विज्ञान के दृष्टिकोण से वेदान्त के सिध्दान्तों का विश्लेषण किया गया है। जीव के चेतनास्तर के आधार पर जगत के प्रातिभाषिक विषयों पर भी तथ्य संकलित किया गया है, जिसके अनुसार वेदान्त में वर्णित ब्रह्म का भौतिकी विज्ञान के ऊर्जा एवं जगत मे समरुपता सिध्द होती है। विज्ञान द्वारा नित नये सृजित सिध्दान्त के लिए वेदान्त-ज्ञान परिकल्पना का हेतु है। विज्ञान, जो भी परिकल्पनाआंे के अन्वेषण मे रत रहता है उसका उल्लेख वेदान्त में प्रतिकात्मक रुप से वर्णित हुआ है। जिस प्रकार भौतिकी वस्तुओं में भिन्न दृष्टिकोण से विश्लेषण करने पर उसके लक्षण मे भिन्न-भिन्न भाव संचरित होता है उसी प्रकार मायारुप जगत के भ्रम होने की संभावना को भी निर्दिष्ट लेख में विचार किया गया है एवं शंकराचार्य के “ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या“ को वैज्ञानिक दृष्टि से गोचर करने का प्रयास किया गया है। ऊर्जारुपी ब्रह्म के लक्षणों पर भी यथास्थान अन्वेषणात्मक विवेचना किया गया है।