प्रस्तुत शोधपत्र में पुराणों में आर्थिक जीवन की विवेचना करने का प्रयास किया जा रहा है जिसके अर्न्तगत कृषि प्रक्रिया, पशुपालन, व्यापार एवं वाणिज्य, शिल्प एवं उद्योग, मुद्रा प्रणाली, माप-तौल की इकाईयों एवं कर व्यवस्था की समाजशास्त्रीय ढंग से विवेचना करने का प्रयास किया गया है।