वर्तमान युग भौतिकवादी एवं अर्थप्रधान युग है, जहाँ सर्वत्र ‘अर्थ’ की ही महिमा दृष्टिगत होती है। यत्र तत्र सर्वत्र ‘टका कर्म टका धर्म’ की ही हुँकार सुनाई देती है। इस अर्थप्रधान युग में व्यक्ति के सभी गुण गौण होकर रह गए हैं। व्यक्ति केवल प्रतिस्पर्धा की रेस में भाग-भाग कर अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य को भुला बैठा है।
शुकनासोपदेश बाणभट्ट विरचित कादम्बरी का एक भाग है, जिसमें मंत्री शुकनास द्वारा युवराज चन्द्रापीड को भविष्य में आने वाली सभी समस्याओं से अवगत कराया गया है और उसके द्वारा निर्विघ्नरूपेण युवराजपद एवं राजपद के निर्वहन हेतु सभी समस्याओं का समाधान भी प्रस्तुत किया गया है।