मनुष्य कितना भी सुख सुविधाओं को प्राप्त कर ले परन्तु बिना संस्कारवान बने वह सुखी नहीं रहता। आज मनुष्य की मुख्य समस्या रोटी, कपडा और मकान की है परन्तु मानव की ये भौतिक समस्यायें हल हो जाएं, सबको रोटी, कपडा और मकान मिलने लगे तो क्या उसकी छीना झपटी समाप्त हो जायेगी, लडना-झगडना समाप्त हो जायेगा? हम समझते हैं कि मनुष्य की सिर्फ भूख प्यास मिट जाने तथा दुनिया भर की सम्पत्ति समेट लेने पर भी हवस नहीं मिटती। बडे से बडा धनी भी निर्धन ही बना रहता है क्योंकि उसे अपने से बडे धनी दिखाई देते हैं। इसलिए भौतिक सम्पत्ति जोड लेने पर मनुष्य और अधिक के फेर में पड़ जाता है। संस्कारों के माध्यम से ही मनुष्य का जीवन सफल, धन्य और सार्थक हो सकता है और मनुष्य अपने जीवन के अन्तिम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। इस शोध पत्र में मानव में संस्कारों के महत्व पर विचार किया गया है।