Contact: +91-9711224068
International Journal of Sanskrit Research
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

Impact Factor (RJIF): 8.4

International Journal of Sanskrit Research

2022, Vol. 8, Issue 3, Part F

वैदिक यज्ञ से वातावरण शोधन

सुनील कुमार पाण्डेय

मानवी काया सृष्टि की सर्वोपरि संरचना है। इसके रोम-रोम में विलक्षणता संव्याप्त है। शरीर की स्थूल गतिविधियों के मूल में अनेकानेक जादू भरी विशेषताएँ छिपी पड़ी हैं। पंचतत्त्वों से बनी इस काया का प्रकृतिपरक स्थूल अंश ही जब इ तना अद्भुत है तो फिर उसकी स्थूल सत्ता की महत्ता तो अकल्पनीय है। सच तो यह है कि स्थूल-सूक्ष्म की कृपा पर ही निर्भर है। इस तथ्य का प्रतिपादन शरीर के महत्वपूर्ण घटक हारमोन्स करते है। कार्य-संरचना एवं व्यक्तित्व का निर्धारण तो ये करते ही हैं। जीवनी शक्ति, जिजीविषा, भावना, संवेदनाएँ, आवेग आदि महत्वपूर्ण अदृश्य सामथ्र्यों का विकास भी हारमोन्स की दया से ही होता है।
उपरोक्त तथ्य दृश्यमान स्थूल के अन्तराल में छिपी सूक्ष्म सत्ता की महत्ता का प्रतिपादन करते हैं, पर मानव ने मात्र स्थूल जगत की क्रियाओं एवं स्वरूप को देखा है तथा उसी से प्रभावित भी हुआ है। अनेकों विभ्रम एवं रोगों-शोकों का कारण यही बाह्य दृष्टि रही है, मात्र बाह्य सुख सुविधाओं पर ध्यान देने का दुष्परिणाम यह हुआ है कि संवेदनाओं का स्तर ही शारीरिक स्वास्थ्य का निर्धारण करता है। वृक्ष की बाहरी स्वरूप तो फल-फूल, पत्तियों के रूप में दिखाई देता है, पर इस बाह्य ऐश्वर्य के मूल में जो सत्ता काम कर रही है वह उसकी जड़ में है। यही बात, शारीरिक स्वास्थ्य के सन्दर्भ में भी है। अन्तःकरण की शुष्कता एवं मनोविकार बाहर से स्वस्थ दिखाई देने वाले व्यक्ति को भी आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार अस्वस्थ ही ठहराते हैं। महत्ता यहाँ भी इन सूक्ष्म विकारों की है जो स्थूल चर्मचक्षुओं से दिखाई नहीं देते।
Pages : 347-350 | 311 Views | 48 Downloads
How to cite this article:
सुनील कुमार पाण्डेय. वैदिक यज्ञ से वातावरण शोधन. Int J Sanskrit Res 2022;8(3):347-350.

Call for book chapter
International Journal of Sanskrit Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals
Please use another browser.