गणित एवं खगोलशास्त्र इन दो विषयों मे केरल के विद्वानों का बहुत बडा योगदान रहा है । वररुचि (400 A. D) से लेकर राम वर्मा (1853–1910 A. D) तक केरल के विद्वानों का लम्बा इतिहास रहा है । केरल इस कालखण्ड में गणित एवं खगोलशास्त्र का केन्द्र रहा है । इस प्रान्त का विज्ञान सम्बन्धी साहित्य प्रचुर मात्रा में मिलता है जो कि संस्कृत के साथ साथ मलयालम भाषा में भी उपलब्ध है । इस शोधपत्र में हम केरल के अग्रगण्य महान गणितज्ञ एवं खगोलविद् नीलकण्ठ जी के जीवन एवं उनकी कृतियों का संक्षेप में वर्णन करेंगे।