श्रीमद्भगवतगीता में भक्ति का स्वरूप एवं इसकी वर्तमानकालीन प्रासंगकिता
डॉ० वन्दना देवी
गीता ज्ञान के वक्ता स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण हैं। मोहग्रस्त हुए अर्जुन को युद्ध भूमि में दिया गया उपदेश ‘श्रीभद्भगवद्गीता’ है। ’श्रीभगवद्गीता’ भगवान् श्रीकृष्ण के मुख से निकली है, इसलिए जो व्यक्ति इसका ध्यानपूर्वक तथा मनोयोग से अध्ययन करता है, उसको अन्य वैदिक साहित्य पढ़ने की आवश्यकता नहीं रहती। आज के युग में मनुष्य सांसारिक कार्यों में इतना व्यस्त हैं कि भिन्न ग्रन्थों का अध्ययन करना मुश्किल है। परन्तु श्रीमदभगभद्गीता का अध्ययन पर्याप्त है क्योंकि यही समस्त वैदिक ग्रन्थों का सार है।