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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2022, Vol. 8, Issue 1, Part E

मनुस्मृति में नारी विषयक चिन्तन-एक अध्ययन

डाॅ० अर्चना पाल

हमारे देश में प्राचीनकाल से मध्यकाल तक अनेक प्रकार के सहित्य की सर्जना की गयी, जिसका समाज और संस्कृति पर विपुल प्रभाव पडा है। ये साहित्य प्रधानतः धार्मिक होते हुये भी तत्कालीन समाज और संस्कृति की व्यञ्जना करते हैं। आज भी हमारे समाज में स्त्रियों को दूसरे दर्जे का माना जाता है जबकि भारतीय संस्कृति के आधार स्तम्भ वेदों के समय में स्त्री और पुरूष को समान सम्मान प्राप्त था। मनुस्मृति की इस सन्दर्भ में समय-समय पर चर्चा होती रहती है, परन्तु उसका समग्र रूप में आकलन किया जाना आवश्यक है, जिससे धर्म और मर्यादा की रक्षा के नाम पर हमारे समाज की स्त्री भी सडी-गली व्यवस्थाओं को मानने के लिये बाध्य न हो।
Pages : 254-255 | 726 Views | 398 Downloads
How to cite this article:
डाॅ० अर्चना पाल. मनुस्मृति में नारी विषयक चिन्तन-एक अध्ययन. Int J Sanskrit Res 2022;8(1):254-255.

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