पंडित अखिलानंद शर्मा कृत दयानंददिग्विजयम् महाकाव्य का धार्मिक व नैतिक अनुशीलन एक युगबोध एवं रचनाधर्मिता का परिचय ।
डॉ अलका धरेन्द्र, प्रवीण शर्मा
आधुनिक संस्कृत काव्य विधा में निर्मित पंडित अखिलानंद शर्मा द्वारा प्रणीत दयानंद दिग्विजयम् महाकाव्य अर्वाचीन महाकाव्य परंपरा का अंग है ।इसमें तत्कालीन भारतवर्ष की संपूर्ण दयनीय दशा को कवि ने काव्यात्मक रूप में गुम्फित किया है । महाकाव्य की सर्जना में युग परिवर्तन के कारण रचनाधर्मिता में अंतर दृष्टिगोचर हुआ है । यद्यपि अर्वाचीन महाकाव्य प्राचीन महाकाव्य स्वरूप व परंपरा से प्रभावित है तथापि इसमें कतिपय अभिनव परिवर्तन परिलक्षित होते हैं जैसे महाकाव्य का नायक एक क्षत्रिय वंश या इतिहास प्रसिद्ध चरित्र न होकर तत्कालीन समाज का धार्मिक महापुरुष या योगी है । महाकाव्य में वैदिक धर्म दर्शन व मूल्यों को उजागर करने का अद्भुत प्रयास हुआ है ।
डॉ अलका धरेन्द्र, प्रवीण शर्मा. पंडित अखिलानंद शर्मा कृत दयानंददिग्विजयम् महाकाव्य का धार्मिक व नैतिक अनुशीलन एक युगबोध एवं रचनाधर्मिता का परिचय ।. Int J Sanskrit Res 2022;8(1):224-228.