महाकवि भवभूतिविरचित ‘‘मालतीमाधवम्’’ में वर्णित तात्कालिक समाज और संस्कृति
श्रीमती सुनिता सेंगाडा
महाकवि भवभूति संस्कृत साहित्य के एक अद्भूत, महान कवि एवं नाटककार थे। ”करुणा“ को काव्य का मूल स्वीकारने वाले भवभूति ने अद्वितीय नाटकों का सृजन कर स्वगौरव को कालिदास के समकक्ष स्थापित किया हैं।
”मालतीमाधवम”् उनमें से एक दश अंको का नाटक (प्रकरण) है। यह कवि कल्पनाप्रसूत प्रेमकथायुक्त एक पारिवारिक नाटक है। चुंकि कविकल्पना तात्कालिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्यों से अछूती नही होती। अतः इसके अध्ययन से भवभूतिकालीन समाज एवं संस्कृति का परिचय सहज ही होता हैं। प्रस्तुत शोधालेख में “मालतीमाधवम्“ का गहनाध्ययन कर सुुधीजनों को तात्कालिक समाज, राजव्यवस्था, पारिवारिक जीवन, विवाह प्रणाली, धर्म, पवित्र नदियॉ तथा कलाओं से परिचित करवाने का प्रयास किया गया है।