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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2021, Vol. 7, Issue 6, Part D

मनुस्मृति में निरूपित पञ्चमहायज्ञ

डॉ. रमा सिंह एवं डॉ. मुकेश कुमार मिश्र

वैदिक-लौकिक-सूत्र-स्मृति साहित्यादि प्राचीन ग्रन्थों में यज्ञ की पर्याप्त चर्चा हुई है। यज्ञों में भी पञ्चमहायज्ञों के विधान का उल्लेख प्रायः सभी व्यवस्थाकारों ने किया है जो विशेषरूप से गृहस्थाश्रम से सम्बद्ध है तथा जिसके अनुष्ठान का उद्देश्य लौकिक एवं पारलौकिक सुख, शान्ति एवं समृद्धि के साथ-साथ ब्रह्माण्डीय जीवों के प्रति अपने कर्त्तव्य का निर्वहण है। आज भी वैश्विक सुख, शान्ति और समृद्धि के साथ-साथ पर्यावरणादि की दृष्टि से यज्ञविधान उपयुक्त एवं वैज्ञानिक है। प्रस्तुत शोधलेख में मनुस्मृति में निरूपित पञ्चमहायज्ञों के विधान एवं महत्त्व को प्रस्तुत किया गया है।
Pages : 273-279 | 984 Views | 705 Downloads


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How to cite this article:
डॉ. रमा सिंह एवं डॉ. मुकेश कुमार मिश्र. मनुस्मृति में निरूपित पञ्चमहायज्ञ. Int J Sanskrit Res 2021;7(6):273-279.

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