कादम्बरी के शुकनासोपदेश में प्रतिपादित राजलक्ष्मी विषयक वर्णन की वर्तमान में प्रासंगिकता
डाॅ. अर्चना पाल
संस्कृत साहित्य निःसन्देह अमूल्य एवं अनुपम है और उसके अनुशीलन से हमें उसकी प्रासंगिकता आज भी स्पष्टतः परिलक्षित होती है। मानवोचित सबलताओं एवं दुर्बलताओं का ज्ञान प्राप्त करके हम निश्चित रूप सुधारवादी दृष्टिकोण को अपनाकर स्वयं, समाज एवं देश में सुधार ला सकते हैं। बाणभट्ट द्वारा रचित ‘कादम्बरी’ के ‘शुकनासोपदेश’ में यथार्थवादी शैली के द्वारा राजा चन्द्रापीड को युवराज पद पर अभिषेक से पूर्व वृद्ध मन्त्री शुकनास के द्वारा दिया गया उपदेश उनके व्यापक ज्ञान की अभिव्यक्ति करता है और देशकालातीत आदर्श को हम सभी के सामने प्रस्तुत करता है।