Contact: +91-9711224068
International Journal of Sanskrit Research
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

Impact Factor (RJIF): 8.4

International Journal of Sanskrit Research

2021, Vol. 7, Issue 6, Part B

मायाः शान्तिदेव प्रणीत प्रज्ञापारमिता एवं गौडपादकारिका के प्रकाश में

डाॅ. शिक्षा सेमवाल

शान्तिदेव प्रणीत प्रज्ञापारमिता तथा गौडपादकारिका दर्शन की दो भिन्न भिन्न विधाओं के ग्रन्थ हैं। परन्तु दोनों ग्रन्थों का अध्ययन करने पर ऐसे कई पारिभाषिक शब्द प्राप्त होते हैं, जिनका प्रयोग दोनों ने प्रचुर मात्रा में किया है। ऐसा ही एक पारिभाषिक शब्द है - माया। प्रज्ञापारमिताकार ने 13 श्लोकों में तथा गौडपादकारिकाकार ने आगम प्रकरण में 3, वैतथ्य में 1, अद्वैत प्रकरण में 6 तथा अलातशान्तिप्रकरण में 5 स्थानों पर माया शब्द का प्रयोग किया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या दोनों ग्रन्थकारों के द्वारा प्रयुक्त समान शब्द एक ही अर्थ में लिया गया है, अथवा शब्दात्मक साम्य होने के बावजूद दोनों में अन्तर है। इसी का विवेचन प्रस्तुत शोधपत्र में किया गया है।
Pages : 102-104 | 481 Views | 82 Downloads
How to cite this article:
डाॅ. शिक्षा सेमवाल. मायाः शान्तिदेव प्रणीत प्रज्ञापारमिता एवं गौडपादकारिका के प्रकाश में. Int J Sanskrit Res 2021;7(6):102-104.

Call for book chapter
International Journal of Sanskrit Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals
Please use another browser.