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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2021, Vol. 7, Issue 6, Part A

रूपकों की विश्वनाथपूर्ववर्तिनी परम्परा

मयूरी झा

नाट्यशास्त्र की अपनी एक विशाल परम्परा रही है। परन्तु उपलब्ध ग्रन्थों के आधार पर आचार्य भरतमुनि कृत नाट्यशास्त्र से आचार्य विश्वनाथ पर्यन्त उपलब्ध ग्रन्थों के आलोक में रूपकों की परम्परा का अध्ययन प्रस्तुत करते हुए विभिन्न आचार्यों के रूपक सम्बन्धी मतों का क्रमिक अध्ययन प्रस्तुत शोध पत्र के अन्तर्गत किया गया है। प्रस्तुत शोध पत्र का मुख्य उद्देश्य आचार्य विश्वनाथ से पूर्ववर्ती रूपकों की परम्परा का अध्ययन प्रस्तुत करना है। अतः विश्वनाथ से पूर्ववर्ती आचार्यों के मतों के आलोक में दशरूपकों की परम्परा सम्बन्धी अध्ययन को प्रस्तुत करने का यथासंभव प्रयास किया गया है।
Pages : 42-46 | 633 Views | 325 Downloads
How to cite this article:
मयूरी झा. रूपकों की विश्वनाथपूर्ववर्तिनी परम्परा. Int J Sanskrit Res 2021;7(6):42-46.

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