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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2021, Vol. 7, Issue 5, Part F

वैश्विक मानवीय समरसता के वैदिक आदर्श

डॉ वन्दना रुहेला

वर्तमान समय में सामाजिक सौहार्द एक वैश्विक आवश्यकता है । भौतिक प्रगति में नव-नवोत्कर्ष की ओर अग्रसर मानव समाज मानवीय गुणों की ओर से उदासीन तथा करणीय अकरणीय के संदर्भ में विवेक शून्यता के कारण वर्ग संघर्ष या युद्ध की स्थितियों में घिरा हुआ है। आज विश्व में मानव समाज को परस्पर सद्भाव और बंधुत्व की नितांत आवश्यकता है।
आज मानव कल्याण के पोषक वैदिक मंत्रों की उपादेयता निस्संदेह प्रासंगिक है। इस शोधपत्र में वैश्विक दृष्टि से - सर्वात्मभाव, समानता, बंधुत्व एवं मैत्रीभाव, न्याय- भावना तथा समष्टि कल्याण की भावना को केंद्र में रखकर इन्हीं विषयों पर वैदिक चिंतन को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
Pages : 346-348 | 468 Views | 111 Downloads
How to cite this article:
डॉ वन्दना रुहेला. वैश्विक मानवीय समरसता के वैदिक आदर्श. Int J Sanskrit Res 2021;7(5):346-348. DOI: 10.22271/23947519.2021.v7.i5f.1711

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