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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2021, Vol. 7, Issue 5, Part C

वेद में सृष्टि विषयक की अवधारणा

कुमुद कुमार पाण्डेय

भारतीय मनीषा आत्मबल पर न जाने कितने असम्भव कार्यों को उसी समय कर चुकी है जब सारा विश्व प्रगाढ़ निद्रा में सोया हुआ था भारत ने ही सारे संसार को विचारने की शक्ति दी। उस असीम सत्ता के अभास के लिए मार्ग-निर्देशन दिया सृष्टि की उत्पत्ति विषयक अवधारणा का प्रथम सूत्रपात्र तो नासदीय सूक्त में प्राप्त होता है। इसमें ऋषि की जिज्ञासा के दर्शन होते हैं वेदों में सृष्टि विषयक अवधारणा पर बहुविध कल्पनाओं की गयी है सामान्यतः प्रजापति को स्रष्टा कहा गया है ऋग्वेद की एक ऋचा में सृष्टिकर्ता को तथा अर्थात् बढ़ई रूप में स्मरण किया गया है कोई बढ़ई जैसे काठ के उपकरणों को सजाकर भवन का निर्माण करता है उसी तरह प्रजापति ने विश्वकर्मा के रूप में इस सृष्टि का निर्माण किया गया है। ऋग्वेद के दशम मण्डल सूक्त संख्या 81,82 तथा 91 एवं ऋचाएं 2,4,5 और 7 में सृष्टि निर्माण के संदर्भ में बहुत सारी महत्वपूर्ण बातों का निष्पादन किया गया है।
Pages : 133-137 | 886 Views | 467 Downloads
How to cite this article:
कुमुद कुमार पाण्डेय. वेद में सृष्टि विषयक की अवधारणा. Int J Sanskrit Res 2021;7(5):133-137.

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