Contact: +91-9711224068
International Journal of Sanskrit Research
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

Impact Factor (RJIF): 8.4

International Journal of Sanskrit Research

2021, Vol. 7, Issue 1, Part I

महाकवि कालिदास की रचना ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ का पश्चिमी देशों पर प्रभाव

ऋचा, श्रुति

महाकवि कालिदास संस्कृत साहित्य के ऐसे चमकते सितारे हैं। जिनकी ज्योति अब भी जगमगाते जन मन को ज्योतिर्मय बना रही है। भारतीय सौंदर्य दर्शन की सभी विभूतियां इनके साहित्य में समाहित है। महाकवि कालिदास संस्कृत के महान कवि तथा नाटककार थे। निर्विवाद रूप से इनकी 7 कृतियों को ही स्वीकृति प्रदान है। जिनमें 3 नाटक(रूपक): अभिज्ञानशाकुन्तलम्, विक्रमोर्वशीयम् और मालविकाग्निमित्रम्; दो महाकाव्य: रघुवंशम् और कुमारसंभवम्; और दो खण्डकाव्य: मेघदूतम् और ऋतुसंहार सम्मिलित है। कालिदास की सभी रचनाओं में से अभिज्ञानशाकुंतलम् नाटक अपने काव्यात्मक तथा नाटकीय गुणों के कारण विश्व में प्रसिद्ध है। महाकवि कालिदास की रचनाओं से न केवल भारतीय प्रभावित हुए बल्कि इनकी सभी कृतियां विश्व विख्यात हैं। विशेषकर पश्चिमी देशों पर इनका प्रभाव अधिक दिखाई देता है। कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की और उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्त्व निरूपित हैं। कालिदास अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं और कुछ विद्वान उन्हें राष्ट्रीय कवि का स्थान तक देते हैं।
अभिज्ञानशाकुंतलम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध रचना है। यह नाटक कुछ उन भारतीय साहित्यिक कृतियों में से है जिनका सबसे पहले यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद हुआ था। यह पूरे विश्व साहित्य में अग्रगण्य रचना मानी जाती है। मेघदूतम् कालिदास की सर्वश्रेष्ठ रचना है जिसमें कवि की कल्पनाशक्ति और अभिव्यंजनावादभावाभिव्यन्जना शक्ति अपने सर्वोत्कृष्ट स्तर पर है और प्रकृति के मानवीकरण का अद्भुत रखंडकाव्ये से खंडकाव्य में दिखता है।
Pages : 521-522 | 258 Views | 43 Downloads
How to cite this article:
ऋचा, श्रुति. महाकवि कालिदास की रचना ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ का पश्चिमी देशों पर प्रभाव. Int J Sanskrit Res 2021;7(1):521-522.
International Journal of Sanskrit Research

International Journal of Sanskrit Research


Call for book chapter
International Journal of Sanskrit Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals
Please use another browser.