Contact: +91-9711224068
International Journal of Sanskrit Research
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

International Journal of Sanskrit Research

2021, Vol. 7, Issue 1, Part I

भवभूति के राम

डॉ. प्रीति पाण्डेय

संस्कृत साहित्य में नायक का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। श्री राम का चरित्र संस्कृत के अनेक महाकाव्यों, नाटकों आदि का प्रमुख वर्ण्य विषय रहा है।“जहां-जहा राम का चरित्र वर्णित है वहां उनकेदो, चार गुण तो एकरूपता से सर्वत्र वर्णित हुए है जैसे-मर्यादा पालन धीरता गंभीरता और सुशीलता ।फिर भी उल्लेखनीय है कि प्रत्येक नाटककार ने उनके चरित्र की केवल यही पक्ष वर्णित किए हो या सभी नाटक कारों के राम का एक सा ही व्यक्तित्व लगता हो ऐसी बात नहीं है। प्रमुख नाटककारों ने उनके चरित्र मेंये सभी गुण बतलाते हुए भी उन्हें इस प्रकार विविध आयाम दिए हैं कि प्रत्येक नाटककार केवल वर्ण्य‘राम’काएक अनूठा और निराला ही चित्र उभरता है”।1ऐसे ही नाटक कारों में महर्षि कालिदास के अनंतर महाकवि भवभूति को श्लाघनीय स्थान प्राप्त है। वे अत्यंत ही प्रौढ़गंभीर और अभिजात नाटककार हैं। उनके तीन नाटकों में दो नाटक महावीर चरितम तथा उत्तररामचरितम् केनायक” श्री राम”है। महावीर चरितम~ में राम के पूर्व चरित अर्थात विश्वामित्र के यज्ञ से लेकर राम राज्याभिषेक तक की कथा है तथा उत्तररामचरितम् में राम के उत्तर चरितअर्थात् सीता परित्याग से लेकर लव कुश rथा सीता के स्वीकार तक की घटना का वर्णन है। रामायण के विपरीत इन्होंने उत्तररामचरितम् को नाट्य व्यापार के अनुरूप सुखांत बनाया है।
Pages : 511-514 | 1723 Views | 935 Downloads


International Journal of Sanskrit Research
How to cite this article:
डॉ. प्रीति पाण्डेय. भवभूति के राम. Int J Sanskrit Res 2021;7(1):511-514.

Call for book chapter
International Journal of Sanskrit Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals
Please use another browser.