जो मनुष्य सकल नान्दीमुखों में गणाधीष की पूजा करता है, सब कुछ उसके वष में हो जाता है तथा वह अक्षय पुण्य को प्राप्त करता है। भविश्यपुराणानुसार न कोई तिथि, न नक्षत्र और न किसी उपवास का विषिष्ट विधान है। यथेष्ट चेष्टापूर्वक सर्वदा ही कामिका सिद्धि होती है। प्राचीन भारत के धार्मिक जीवन मे गणेष का विषेष महत्त्व होने के कारण गरुड़पुराण में अन्य देवी-देवताओं सहित उनकी अर्चना का भी उल्लेख आया है। पद्म, षिव, नारद, भविष्य, स्कन्द, मत्स्य और गरुड़पुराणों में गणेष-पूजा-विधि वर्णित है।