जीवन की वैज्ञानिकता को निरूपित करनेवाली व्यवस्थाओं में सर्वाधिक ग्राह्य व्यवस्था आश्रमव्यवस्था है। यह वैश्विक सभ्यता एवं संस्कृति को भारत की अन्यतम अभूतपूर्व देन है। चतुर्विध आश्रम जीवन की चार अवस्थाओं को व्यक्त करता है। प्रत्येक आश्रम में श्रमपूर्वक कार्य करते हुए परमपद मोक्ष की प्राप्ति में यह व्यवस्था सहायक सिद्ध होती है एवं परमपद मोक्ष को सुलभ बनाती है। यह व्यवस्था आज भी पूर्णतः प्रासंगिक एवं वैज्ञानिक है। प्रस्तुत शोधलेख में मनुस्मृति में चित्रित आश्रमव्यवस्था का प्रतिपादन किया गया है।