नाट्यशास्त्र की परम्परा में दशरूपक का महत्त्व एवं प्रासङ्गिकता
डाँ. कृपाशङ्करशर्मा
प्रस्तुत शोध आलेख नाट्यशास्त्रीयपरम्परा में दशरूपक का महत्त्व एवं प्रासंगिकता शीर्षक पर केन्द्रित होकर लिखा गया है इसमें मुख्यरूप से नाट्य के उपयोगी तत्त्वों को यथासन्दर्भ उपस्थापित किया गया है जिसमें पञ्चसन्धि पञ्च अर्थप्रकृति नायक स्वरूप भेद नायिका के प्रकार और विशेषता तथा पात्राभिय में प्रयुक्तभाषा सम्बोधन् आदि का विचार प्रतिपादन किया गया है, जो नाट्यकर्मियों और तद्गत् रचनाकारों के लिये मार्ग प्रशस्त करने वाला सिद्ध होगा इस् प्रकार की अभिलाषा व्यक्त की जा सकती है और साथ ही नाट्यशास्त्र के धरातल पर अपने महत्त्व और प्रासंगिकता को उद्घाटित करता है यह निष्कर्ष सारांश के रूप में मान्य है ।