परिवेश में सत्यं शिवं सुन्दरम् की स्थापना - ऋग्वेदोक्त आचरण
डॉ. वन्दना रुहेला
मानव का उसके परिवेश के साथ सामजस्यपूर्ण सहअस्तित्व ही विश्व के कल्याण का आधार है, तथा सत्यं शिवं सुन्दरम् की अवधारणा की पूर्णता है। सत्य हमें किसी भी वास्तविकता के सभी आयामों से परिचित कराता है। तथ्यात्मक रूप में प्राप्त ज्ञान से विवेक बुद्धि उत्पन्न होती है तथा तदनुसार शुभाचरण के द्वारा शिवत्व की स्थापना होने से सुन्दरता का आधान स्वतः ही हो जाएगा। भारतीय संस्कृति के मूलाधार, विश्व के सर्वप्रथम प्रकट ज्ञान-पुञ्ज वेदराशि में परिवेश के प्रति मानव के आचरण के आदर्श प्रस्तुत किये गए हैं। प्राकृतिक परिवेश तथा सामाजिक परिवेश में मानव के आचरण को सत्यं शिवं सुन्दरम् के परिप्रेक्ष्य में देखना प्रस्तुत शोध पत्र का विषय है। इसमें यह अनुसंधान करने का प्रयास किया जा रहा है कि वेदानुमत आचरण करने से वर्तमान समय की पर्यावरणिक, पारिस्थितिक, पारिवारिक तथा सामाजिक समस्याओं का निराकरण संभव है।
डॉ. वन्दना रुहेला. परिवेश में सत्यं शिवं सुन्दरम् की स्थापना - ऋग्वेदोक्त आचरण. Int J Sanskrit Res 2020;6(4):172-176. DOI: 10.22271/23947519.2020.v6.i4c.1831