वाल्मीकीय रामायण के परिप्रेक्ष्य में महाकवि कालिदास की रामकथा का अध्ययन
शत्रुघ्न कुमार
महाकवि कालिदास ने अपनी रामकथा में वाल्मीकीय रामकथा से अनेकत्र नवीनता प्रदर्शित की है। चाहे रघुवंशी नृपों के वंशानुक्रम की भिन्नता हो अथवा अंधमुनि-पुत्रवध-कथा का कथात्मक सौंदर्य या चित्र-दर्शन की उद्भावना हो अथवा पुष्पक विमान से अयोध्या आते श्रीरामजी द्वारा प्रकृति का अनुपम सौंदर्यीकरणादि हो। वे कई स्थलों पर अनुपम कथात्मक-काव्यात्मक सौंदर्य दर्शाते हैं तो अनेकत्र वे कथात्मक-प्रवाह की सरसता में वाल्मीकीय रामकथा से पीछे दिखायी पड़ते हैं। अगर समग्रता की दृष्ट से देखें तो उनके कथानक का कथात्मक-सौंदर्य वाल्मीकीय रामायण से न्यून दिखायी देता है किन्तु काव्यात्मकता की दृष्टि से उनका यह प्रयत्न न केवल रामकथा के प्रतिष्ठापकों के लिए वरन् संपूर्ण संस्कृत जगत् के लिए स्पृहणीय है।