संस्कृत के कतिपय शब्दों का हिन्दी में विभिन्न अर्थों में प्रयोग
डाॅ. अर्चना पाल
संस्कृत भाषा के तत्सम शब्द हिन्दी में पर्याप्त संख्या में प्रचलित है। इनमें से कुछ शब्द तो हिन्दी भाषा के विकास के विभिन्न कालों में प्रयुक्त होते रहे हैं। कबीरदास, तुलसीदास, जायसी, सूरदास, केशवदास, बिहारी आदि की रचनाओं में संस्कृत भाषा के शब्द प्रचुर संख्या में हैं। कुछ संस्कृत शब्द ऐसे है जिनके अर्थ हिन्दी में संस्कृत में पाये जाने वाले अर्थों से पर्याप्त भिन्न हैं अथवा सर्वथा भिन्न हैं। भाषा विज्ञान की दृष्टि से ऐसे शब्दों के अर्थ भेद के अध्ययन से इन संस्कृत शब्दों का अर्थ करने में जो भ्रान्ति बनी रहती है वह दूर होती है। बहुधा संस्कृत ग्रन्थों में आये शब्दों का भ्रान्तिवश वही अर्थ कर दिया जाता है जो आजकल हिन्दी में है।