रविन्द्रनाथ टैगोर का दिल हमेशा मातृभूमि भारत माँ की सेवा से ओतप्रोत था। उनके अनुसार बच्चों के शरीर और मन के पूरे विकास के लिए खुली हवा और पेड़-पौधों की जरूरत है। इन बातों से कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि जब बच्चे का दिल ताजा हो, उसकी जानने की इच्छा सजीव हो, उसकी सब इन्द्रियाँ सतेज हो, इसी समय उसे खुले आकाश के नीचे प्रकृति की गोद मंे खेलने दो। इसके साथ ही, उनका उद्देश्य सत्यं शिवमं सुन्दरम् की साधना थी। परमानन्द की प्राप्ति ही मानव जीवन का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए।