जीवन जीने का नाम है और जीना एक कला है | ऐसे तो जीवन शब्द का प्रयोग भाषा में सब के साथ कर दिया जाता है जैसे प्राणी का जीवन, वृक्ष का जीवन, नदी का जीवन, समुद्र का जीवन, पाषण का जीवन, परन्तु वस्तुतः जीवन शब्द की सार्थकता मनुष्य के साथ ही है, इतर प्राणियों या जड़ पदार्थों का जीवन एक बनी बनाई पद्धति पर चलते रहना है, परन्तु मनुष्य अपनी जीने की पद्धति निर्माण स्वयं करता है | वह पद्धति क्या हो, इसी में जीवन की व्याख्या निहित है |