मेरे शोधप्रबन्धका शीर्षक ‘काशिकाके तृतीय अध्यायके उदाहरणोंका प्रक्रियानिर्देश’ है। वस्तुतः काशिकाकी स्वकीय शैली यह है कि उसमें जो उदाहरण दिये जाते हैं उनका प्रक्रियानिर्देश प्रायः किया ही नहीं जाता है और यदि कहींपर किया भी जाता है तो वह इतना निगूढ होता है कि उतनेमात्रसे उदाहरणोंकी प्रक्रिया स्पष्ट नहीं हो पाती है और प्रक्रियाको समझे विना शास्त्रकी चरितार्थता असम्भव है। यही कारण मेरे इस शोधप्रबन्धकी अपरिहार्यताको प्रदर्शित करता है जो कि विना प्रक्रियानिर्देशके सम्भव नहीं है। मेरा यह प्रयास उसी दिशामें है।