मानवीय सभ्यता में मनुष्य अपने भावों के सम्प्रेषण हेतु भाषा का प्रयोग करता है। ये भाषाएँ अपने में सांस्कृतिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक तत्त्वों को समाहित कीये होती है। भाषाओं के अध्ययन से उस भाषा की मूल प्रवृत्ति एवं विकास का पता चलता है। भारतीय भाषाओं का उत्पत्ति, विकास एवं विकास की प्रवृत्ति का अध्ययन रोचक है। जिस भाव में हम अपने भावों का सम्प्रेषण करते हैं उन भाषा को जानने का कौतूक उत्साह का सृजन करता है।