वर्तमान में हमारे समक्ष बहुत-सी समस्याएँ हैं। आगामी समय में एक भयावह समस्या आने वाली है जिसका अभी से उचित समाधान आवश्यक है, वह है - शुद्ध पेयजल की समस्या। इसका असर अभी से दिखाई देने लगा है। अतः वर्तमान में जलप्रबंधन या जलसंरक्षण अति आवश्यक है। यह जलप्रबंधन या जलसंरक्षण किस प्रकार किया जाए इसके लिए आचार्य वराहमिहिर ने बृहत्संहिता नामक ग्रन्थ में विस्तृत वर्णन किया है। इस शोध-पत्र के माध्यम से यह प्रयास किया गया है कि हम किस प्रकार हमारी प्राचीन ऋषि-परम्परा से प्रदत्त ज्ञान द्वारा जल-संरक्षण कर विश्व का कल्याण कर सकते हैं।