International Journal of Sanskrit Research
2019, Vol. 5, Issue 4, Part E
जलसंरकà¥à¤·à¤£ और आचारà¥à¤¯ वराहमिहिर
डाॅ. उमाशंकर
वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में हमारे समकà¥à¤· बहà¥à¤¤-सी समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤ हैं। आगामी समय में à¤à¤• à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ समसà¥à¤¯à¤¾ आने वाली है जिसका अà¤à¥€ से उचित समाधान आवशà¥à¤¯à¤• है, वह है - शà¥à¤¦à¥à¤§ पेयजल की समसà¥à¤¯à¤¾à¥¤ इसका असर अà¤à¥€ से दिखाई देने लगा है। अतः वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में जलपà¥à¤°à¤¬à¤‚धन या जलसंरकà¥à¤·à¤£ अति आवशà¥à¤¯à¤• है। यह जलपà¥à¤°à¤¬à¤‚धन या जलसंरकà¥à¤·à¤£ किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° किया जाठइसके लिठआचारà¥à¤¯ वराहमिहिर ने बृहतà¥à¤¸à¤‚हिता नामक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ वरà¥à¤£à¤¨ किया है। इस शोध-पतà¥à¤° के माधà¥à¤¯à¤® से यह पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है कि हम किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हमारी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषि-परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ से पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जल-संरकà¥à¤·à¤£ कर विशà¥à¤µ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ कर सकते हैं।
How to cite this article:
डाॅ. उमाशंकर. जलसंरकà¥à¤·à¤£ और आचारà¥à¤¯ वराहमिहिर. Int J Sanskrit Res 2019;5(4):274-275.