सनातन धर्म और भारतीय दर्शन में शक्ति का महत्त्वपुर्ण स्थान है ।इस चराचर जगत को स्थिरता प्रदान करने में माया (शक्ति) और ब्रह्म का ही योगदान है । शक्ति को अनेक नामो से जाना जाता है कभी कृष्णप्रिया राधा, कभी विष्णुप्रिया लक्ष्मी, कभी रामसंगिनी सीता तो कभी शिवशक्ति पार्वती। चाहे जिस भी रूप में रूप में इन्हें जाना जाता रहे किन्तु हर युग में शक्तिकेंद्र शक्ति में ही समाहित रहा है ।इस शोध लेख में शक्ति के प्रमुख रूपों का वर्णन करने का प्रयास किया गया है।