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International Journal of Sanskrit Research
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International Journal of Sanskrit Research

2019, Vol. 5, Issue 3, Part A

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दिगंत बोरा

लोक-विश्वास का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। ब्रह्मांड में यावत् वस्तुएँ दृष्टिगोचर होती है, इस जगत में जितनी वस्तुएँ उपलब्ध होती है, उनमें से प्रत्येक के संबंध में लोक-विश्वास निश्चित रूप से प्रचलित है। सभी समाज में धर्म, जीव, जन्म, मृत्यु आदि से संबंधित लोक-विश्वास युगों-युगों से चली आ रही हैं। इन लोक-विश्वासों के मूल में मनुष्य के अलौकिक शक्ति के प्रति डर, श्रद्धा और दीर्घ जीवन लाभ की आशा प्रमुख हैं। आदिम समय में बड़े वृक्ष, पत्थर आदि को डर की ड्र्ष्टि से देखा जाता था, इसी के आधार पर समाज में बहुत सारी धारणाएँ प्रचलित हो गयी थी, जिसे बाद में लोक-विश्वास के रूप में मान्यता मिली। लोक-विश्वास शब्द अंग्रेजी के ‘Superstition’ का पर्याय है, जिसका अर्थ है ‘अलौकिक शक्ति प्रति डर’। 1 आदिम काल से जो विचार या धारणा समाज में प्रचलित है, जिसके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, परंतु समाज के द्वारा उसे मान्यता दिया जाता है, उसे ही लोक-विश्वास कहा जाता है। लोक-विश्वासों का मूल क्षेत्र भले ही निरक्षर समाज है, परंतु आज भी शिक्षित समाजों में लोक-विश्वासों को महत्व दिया जाता है। असम की संस्कृति भारतीय संस्कृति का ही एक अंग है। इसलिए भारतीय समाज की ज्यादातर लोक-विश्वास असम के समाज में भी प्रचलित है। परंतु असम की प्रायः जनजाति अनार्य है, जिनका अपना एक विशेष संस्कृति है। इसलिए इन जनजातीय समाज की निजी अपनी विशिष्ट लोक-विश्वास दिखाई देती है। असम की संस्कृति विविध जनजातियों से मिलकर बना है। जिनमें प्रमुख है- कछारी, गारो, राभा, तिवा, डिमाछा, देउरी, मिरि आदि। इन समाजों में अनेक लोक-विश्वास प्रचलित हैं। असम में प्रचलित लोक-विश्वासों को निम्न रूपों में विभाजित करके देख सकते हैं- जन्म संबंधी, विवाह संबंधी, कृषि संबंधी आदि। कृषि संबंधी लोक-विश्वासों में प्रमुख है- कार्तिक महीने में खेत में दीया जलाना। इसके अनुसार काति बिहु (काति बिहू) के दिन में और उसके बाद खेत में दीया जलाने से खेत अच्छे होते है। इस तरह की लोक-विश्वासों का भले ही कोई तर्कयुक्त आधार नहीं है, परंतु इनसे जनसाधारण का भला ही होता है। क्योंकि काति बिहु के समय धान खेत में फसल बनना शुरू होते, जिसे कीड़ा या अनिष्टकारी पतंग नष्ट कर सकते हैं। यदि काति बिहु और उसके पश्चात खेत में दीपक लगाया जाता है तब पतंग आग को देखकर उसके पास आते है और उसमें जलकर मर जाते है। जिससे से खेत अच्छे होते है । इस तरह से इन लोक-विश्वासों समाज का हित ही होते है।
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How to cite this article:
दिगंत बोरा. vlfe;k lekt esa yksd&fo'okl. Int J Sanskrit Res 2019;5(3):18-21.

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