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दिगंत बोरा
लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° अतà¥à¤¯à¤‚त वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड में यावतॠवसà¥à¤¤à¥à¤à¤ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होती है, इस जगत में जितनी वसà¥à¤¤à¥à¤à¤ उपलबà¥à¤§ होती है, उनमें से पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• के संबंध में लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है। सà¤à¥€ समाज में धरà¥à¤®, जीव, जनà¥à¤®, मृतà¥à¤¯à¥ आदि से संबंधित लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ यà¥à¤—ों-यà¥à¤—ों से चली आ रही हैं। इन लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के मूल में मनà¥à¤·à¥à¤¯ के अलौकिक शकà¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ डर, शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ और दीरà¥à¤˜ जीवन लाठकी आशा पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं। आदिम समय में बड़े वृकà¥à¤·, पतà¥à¤¥à¤° आदि को डर की डà¥à¤°à¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ से देखा जाता था, इसी के आधार पर समाज में बहà¥à¤¤ सारी धारणाà¤à¤ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हो गयी थी, जिसे बाद में लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के रूप में मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ मिली। लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ शबà¥à¤¦ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ के ‘Superstition’ का परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ है, जिसका अरà¥à¤¥ है ‘अलौकिक शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ डर’। 1 आदिम काल से जो विचार या धारणा समाज में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है, जिसके पीछे कोई वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• आधार नहीं है, परंतॠसमाज के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उसे मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ दिया जाता है, उसे ही लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ कहा जाता है। लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ का मूल कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° à¤à¤²à¥‡ ही निरकà¥à¤·à¤° समाज है, परंतॠआज à¤à¥€ शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ समाजों में लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ को महतà¥à¤µ दिया जाता है। असम की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का ही à¤à¤• अंग है। इसलिठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज की जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ असम के समाज में à¤à¥€ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है। परंतॠअसम की पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ जनजाति अनारà¥à¤¯ है, जिनका अपना à¤à¤• विशेष संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है। इसलिठइन जनजातीय समाज की निजी अपनी विशिषà¥à¤Ÿ लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ दिखाई देती है। असम की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ विविध जनजातियों से मिलकर बना है। जिनमें पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है- कछारी, गारो, राà¤à¤¾, तिवा, डिमाछा, देउरी, मिरि आदि। इन समाजों में अनेक लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हैं। असम में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ को निमà¥à¤¨ रूपों में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ करके देख सकते हैं- जनà¥à¤® संबंधी, विवाह संबंधी, कृषि संबंधी आदि। कृषि संबंधी लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है- कारà¥à¤¤à¤¿à¤• महीने में खेत में दीया जलाना। इसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° काति बिहॠ(काति बिहू) के दिन में और उसके बाद खेत में दीया जलाने से खेत अचà¥à¤›à¥‡ होते है। इस तरह की लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ का à¤à¤²à¥‡ ही कोई तरà¥à¤•à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ आधार नहीं है, परंतॠइनसे जनसाधारण का à¤à¤²à¤¾ ही होता है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि काति बिहॠके समय धान खेत में फसल बनना शà¥à¤°à¥‚ होते, जिसे कीड़ा या अनिषà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¥€ पतंग नषà¥à¤Ÿ कर सकते हैं। यदि काति बिहॠऔर उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ खेत में दीपक लगाया जाता है तब पतंग आग को देखकर उसके पास आते है और उसमें जलकर मर जाते है। जिससे से खेत अचà¥à¤›à¥‡ होते है । इस तरह से इन लोक-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ समाज का हित ही होते है।
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दिगंत बोरा. vlfe;k lekt esa yksd&fo'okl. Int J Sanskrit Res 2019;5(3):18-21.